केंद्र सरकार ने 16 जून 2025 को 16वीं जनगणना की अधिसूचना जारी की। यह भारत की पहली डिजिटल जनगणना होगी
महारजिस्ट्रार एवं जनगणना आयुक्त के रूप में मृत्युंजय कुमार नारायण नियुक्त किए गए हैं, जो इस महत्वपूर्ण कार्य का नेतृत्व करेंगे
जनगणना दो चरणों में होगी: जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड जैसे बर्फीले क्षेत्रों में 1 अक्टूबर 2026 से, और बाकी देश में 1 मार्च 2027 से
इस जनगणना पर लगभग 13,000 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है, जो इसे अब तक की सबसे बड़ी जनगणना बनाता है
पहली बार भारत में पूरी जनगणना डिजिटल माध्यम से होगी। मोबाइल ऐप्स का उपयोग कर डेटा संग्रह किया जाएगा, जो 16 भाषाओं में उपलब्ध होंगे
पहला चरण मकान सूचीकरण (HLO) का होगा, जिसमें घरों की स्थिति और सुविधाओं की जानकारी ली जाएगी।
दूसरा चरण जनसंख्या गणना (PE) होगा, जिसमें प्रत्येक व्यक्ति की सामाजिक-आर्थिक और जातिगत जानकारी शामिल होगी
यह 16 वर्षों बाद होने वाली पहली जनगणना है, जो कोविड-19 महामारी के कारण विलंबित हुई थी
1931 के बाद पहली बार जाति आधारित आंकड़े जुटाए जाएंगे। यह 90 वर्षों के बाद जाति गणना की वापसी है, जो सामाजिक और राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है
जनगणना में कुल 28 कॉलम होंगे, जिनमें आवासीय स्थिति, स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार, जाति आदि की विस्तृत जानकारी शामिल होगी
यह जनगणना नीतिगत फैसलों, निर्वाचन क्षेत्र परिसीमन, कल्याणकारी योजनाओं के लिए आधारशिला बनेगी